Advertisement

दिल्ली हिंसा: अमन के दूत बने सिख पिता-पुत्र, 70 मुस्लिमों को बचाया, बोले- हिंसा ने दिलाई 1984 की याद

दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाके में जब हिंसा भड़की हुई थी उस वक्त दो सिखों ने अपनी जान की परवाह ना करते हुए करीब 70 मुस्लिमों की जान बचाने का साहसी और नेक काम किया.

टू-व्हीलर पर बैठाकर मुस्लिमों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया (फोटो: ANI) टू-व्हीलर पर बैठाकर मुस्लिमों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया (फोटो: ANI)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 01 मार्च 2020,
  • अपडेटेड 10:47 AM IST

  • दिल्ली हिंसा में अब तक 41 लोगों की मौत
  • हिंसाग्रस्त इलाकों में पुलिस की गश्त जारी

दिल्ली की उत्तर-पूर्वी दिल्ली अब पूरी तरह शांत है. धीरे-धीरे जनजीवन भी पटरी पर लौट रहा है. इलाके में साफ-सफाई का काम प्रशासन तेजी से करवा रहा है. इसके साथ पुलिस और सुरक्षा बलों द्वारा शांति बहाली की जिम्मेदारी भी बखूबी निभाई जा रही है. जैसे-जैसे हालात सामान्य हो रहे हैं, लोग अपने दुख, अपने साथ हुए अत्याचारों की कहानी बताने सामने आ रहे हैं. ऐसे में कुछ ऐसे नाम भी सामने आ रहे हैं, जिन्होंने हिंसा के दौरान अदम्य साहस का परिचय दिया और हिंसक भीड़ से कई लोगों की जान बचाई.

Advertisement

24 फरवरी को गोकुलपुरी इलाके में भड़की हिंसा के दौरान ऐसे ही बाप-बेटे की एक जोड़ी चुपचाप नेक काम में लगी हुई थी. इन दोनों ने बड़ी बहादुरी के साथ इलाके में फंसे करीब 70 मुसलमानों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया और उनकी जान बचाई. जानकारी के मुताबिक, मोहिंदर सिंह ने अपने बेटे की मदद से अपने दुपहिया वाहनों पर गोकुलपुरी बाजार से मुस्लिम परिवारों को कर्दमपुरी तक पहुंचाया.

यह भी पढ़ें- Delhi Violence: अब तक 167 FIR दर्ज, 885 लोगों की पुलिस ने की धरपकड़

20 चक्कर लगाकर बचाई 70 मुस्लिमों की जान

एएनआई से बात करते हुए मोहिंदर सिंह ने कहा, "मैंने और मेरे बेटे ने हिंसा के दौरान लगभग 60 से 70 मुस्लिमों को शिफ्ट किया. मैं अपने स्कूटर पर था और मेरा बेटा अपनी बुलेट पर. हमने गोकुलपुरी से कर्दमपुरी इलाके तक 20 चक्कर लगाए. वे लोग डरे हुए थे. उनके डर को देखते हुए हमने उन्हें यहां से शिफ्ट करने का फैसला किया."

Advertisement

मोहिंदर बोले- हिंसा ने याद दिलाए 1984 के दंगे

हिंसा के उस दिन की कहानी बताते हुए मोहिंदर सिंह ने आगे कहा, "मैंने 1984 के सिख विरोधी दंगों को देखा है. इस हिंसा ने मुझे उसकी याद दिला दी. हमने दाढ़ी वाले मुस्लिम पुरुषों को पगड़ी दी ताकि उन्हें पहचाना न जा सके. वहां महिलाएं और बच्चे भी थे. हमने सबसे पहले उन्हें ही बाहर निकाला."

यह भी पढ़ें- दिल्ली हिंसा का डरावना सच, पत्थरबाजी से 22 लोगों की मौत, 13 गोली के शिकार

उन्होंने आगे कहा, "हमने केवल मानवता के लिए ऐसा किया क्योंकि हमने उन्हें किसी दूसरे धर्म के व्यक्ति के बजाय इंसान के रूप में देखा."

जा चुकी है 41 लोगों की जान, दर्ज हुए 167 एफआईआर

दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाके में भड़की इस हिंसा में अब तक 41 लोगों की मौत हो चुकी है. तमाम घायलों का अभी भी अस्पतालों में इलाज चल रहा है. वहीं हिंसा में अब तक दिल्ली पुलिस कुल 167 FIR दर्ज कर चुकी है. वहीं आर्म्स एक्ट में कुल 36 मामले दर्ज किए गए हैं. पुलिस ने अब तक कुल 885 लोगों को पकड़ा है, जिनमें से कुछ गिरफ्तार और कुछ लोग हिरासत में हैं.

यह भी पढ़ें- हिंसा पीड़ितों को आज से मुआवजा देगी दिल्ली सरकार, मदद के लिए अपनाएं ये तरीका

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement